
तीसरी लहर का वार..प्रिकॉशन डोज से प्रहार! फ्रंटलाइन वर्कर्स में भेदभाव क्यों, क्या गाइडलाइन में वाकई सुधार की जरूरत है?
रायपुरः कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। रोजाना बढ़ते मरीज केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं। इससे बचाव के लिए केंद्र सरकार ने 10 जनवरी से देशभर में प्रिकॉशन डोज लगाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन इसके लिए जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन में टीचर्स, वकील और पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल नहीं किया गया है जिसे लेकर विरोध और बहस का नया मोर्चा खुल गया है। इस अहम विषय से जुड़े हर पहलू और प्रभाव पर बात करगें लेकिन पहले एक रिपोर्ट देखिये।
तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने 10 जनवरी से प्रिकॉशन डोज लगाने की शुरूआत कर दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसके लिये गाइडलाइन जारी की जा चुकी है। जिसे लेकर अब विरोध तेज हो गया है। दरअसल केंद्र ने जो शेड्यूल जारी किया है। उसमें ये जिक्र है कि प्रिकॉशन डोज अभी केवल हेल्थवर्कर्स,फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 से अधिक उम्र वाले गंभीर बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों को ही लगेगा। वहीं फ्रंटलाइन वर्कर्स की सूची में शामिल शिक्षक, वकीलों और पत्रकारों को इससे बाहर रखा गया है। फैसले को लेकर अब विरोध शुरू हो गया है। शिक्षक संघ का कहना है कि केंद्र सरकार को इस बात को समझना होगा कि शिक्षक भी हाई रिस्क में काम करते है। हर दिन हज़ारों छात्रों के संपर्क में आते है।
वकीलों को फ्रंटलाइन वर्कर न माने जाने पर बार काउंसिल भी विरोध में उतर गया है। प्रिकॉश्नरी डोज के लिए वकील अब पीएम मोदी को पत्र लिखने की तैयारी कर रहे हैं। शिक्षक, वकील और पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल नहीं करने के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में सियासत बयान भी आ चले हैं। बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार जिन्हें भी प्रिकॉशन डोज के लिए फ्रंट लाइन वर्कर मानती है। उन्हें अपने खर्च पर टीके लगवा दे। केंद्र ने अपनी रिसर्च के आधार पर गाइडलाइन बनाई है। जबकि कांग्रेस का कहना है कि टीचर, पत्रकार और वकीलों को फ्रंटलाइन वर्कर ना मानना केंद्र सरकार की बड़ी चूक है। इस पर पुनर्विचार होना चाहिए।
उधऱ, मध्यप्रदेश में भी बूस्टर डोज को लेकर पक्ष-विपक्ष की अपनी-अपनी राय है। दोनों पक्षों का मानना है कि जरूरत और प्राथमिकता के हिसाब से सभी को वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज लगाना चाहिए। कुल मिलाकर प्रिकॉशन डोज या बूस्टर डोज के लिए तय किए गए प्राथमिकता क्रम में अपने आप को ना पाकर देश के टीचर, वकील और पत्रकार सभी केंद्र से खफा हैं और खुद को शामिल करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस इस मांग का समर्थन कर रही है तो भाजपा इस मुद्दे पर फिलहाल नपा-तुला बोलकर सभी के टीकाकरण को जरूरी बता रही है। अहम बात ये कि क्या प्रिकॉशन डोज के लिए जारी गाइडलाइन में वाकई सुधार की जरूरत है ?